श्यामा प्रसाद मुखर्जी

 

श्यामा प्रसाद मुखर्जी (6 जुलाई 1901 – 23 जून 1953) एक भारतीय बैरिस्टर, शिक्षाविद्, राजनीतिज्ञ, कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और राज्य व राष्ट्रीय सरकारों में मंत्री थे।



उनका जन्म कलकत्ता में एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता, सर आशुतोष मुखर्जी, कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक प्रसिद्ध न्यायाधीश और कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं हासिल कीं, 24 वर्ष की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य बने और 33 वर्ष की आयु में सबसे कम उम्र के कुलपति बने (1934-1938)। उनके कार्यकाल में रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार बंगाली में विश्वविद्यालय दीक्षांत भाषण दिया, और भारतीय स्थानीय भाषाओं को उच्चतम परीक्षा के विषय के रूप में पेश किया गया।

स्वतंत्रता के बाद, वे जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम केंद्रीय सरकार में उद्योग और आपूर्ति मंत्री बने। उनके कार्यकाल में चितरंजन में रेल इंजन का कारखाना, विशाखापट्टनम में जहाज बनाने का कारखाना और बिहार में खाद का कारखाना स्थापित किए गए।

उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जिसे बाद में भारतीय जनता पार्टी का अग्रदूत माना गया। वे 'एक देश, एक निशान, एक विधान और एक प्रधान' के संकल्प के अगुवाकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने का विरोध किया और इसके एकीकरण के लिए संघर्ष किया। 1953 में, कश्मीर में बिना अनुमति प्रवेश करने के प्रयास में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और हिरासत के दौरान ही उनका निधन हो गया।

उन्हें एक महान देशभक्त, शिक्षाविद्, सांसद, राजनेता और मानवतावादी के रूप में याद किया जाता है। संसद में उनकी भूमिका के लिए उन्हें "संसद का शेर" की उपाधि मिली थी।



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